ऐसे जो तुम्हारी नज़रें मुझ पे रुकी हैं,
और फिर मुझसे नज़रें मिलने पे इधर उधर देखने लगी हैं,
कुछ कहना है क्या इन्हे या बस ये ऐसे ही शरारती हैं,
छूने की जरुरत भी नहीं,
ये नज़रों की मोहब्बत है, इन्हे जिस्मों की जरुरत नहीं,
तुम बैठे रहो ऐसे ही,
इन लम्हों की खातिर, थोड़ी देरी ही सही,
फिर चली जाओगी तुम अपने रास्ते, बिना कुछ कहे,
और जो मेरी नज़रें तुम्हारे साथ चलने लगे,
अलविदा कहने,
मैं कुछ नहीं कहूंगा, तुम भी कुछ न कहना,
मुड़कर बस एक बार, मुस्कुराकर इस मुलाक़ात को यूँही इसी
हसीन मोड़ पर ख़त्म कर देना…
-N2S
17122019