यहाँ से कुछ दूर स्कूल की सीढ़ियों में,
शायद बैठे होंगे अब भी यार मेरे,
होगा कोई बीमार प्यार में तो कोई किताबों का सिरदर्द पाले होगा,
कोई होगा बेंच बजता तो कोई नोटबुक के आँखरी पाने को रंगो से भरता होगा,
यहाँ से कुछ दूर,
मस्जिद की आज़ान सुनाई देती है जहाँ,
आने वाले कल की बातें अब भी होती होंगी,
ऐसा करेंगे, वैसा करेंगे,
सपनो में करवट लेती रातें होंगी,
यहाँ से कुछ दूर,
जेब में पैसों की किल्लत जारी होगी,
दो-दो रुपए जमा करके दुकान से गेंद अभी लाई होगी,
साइकल की पंक्चर ठीक करता होगा कोई,
तो कोई लड़कियों के लिए बाज़ार के चक्कर लगाता होगा,
यहाँ से कुछ दूर,
यार अब भी जमा हो जाते हैं मेरे घर के बाहर,
कोई चिल्लाता है नाम लेकर तो कोई,
चारपाई से घसीट ले जाता है,
कोई वजह नही,
वक़्त की कोई फ़िक्र नही,
बस जाना है कहीं घूमने,
और अगर कल मैं रुक्सत हो जाऊँ इस जहाँ से
तो यारों गम ना करना,
मैं फिर आउँगा के,
यहाँ से कुछ दूर,
बैठे हैं इंतज़ार में यार मेरे…
-N2S
01022014