कभी बड़ी हसरतों से देखा करते उन्हें,
बड़ी उम्मीदों से इंतज़ार किया करते थे उनका,
सौ बार फिर आते थे उनकी गली से,
के एक बार ही सही, उसे देखकर चेहरा खिल जाये उस दिन का,
बातें तो बहुत कही उनसे,
बस वो एक बात ना कह पाए, जो जीत पता दिल उसका,
वो ख़ुशी ख़ुशी चली गयी डोली में किसी और की,
क्या कहते? क्या कर लेते? उसी में भला लगा उसका,
उस दिन समझा प्यार तो आसान होता है भुलाना,
मुश्किल तो होता है सपनों को दफनाना,
आज वर्षों बाद राह में दिखी वो तो, बस मुस्कुराते रह गए,
उन्होंने पूछा हाल तो बस मुस्कराते रह गए,
खुद की आप बीती सुनाते-सुनाते जो आँखें गीली हुई उनकी,
हमारे बढ़ते हाथ उनके चेहरे तक आते-आते रह गए,
की किस हक़ से छुयें उन्हें?
की दोस्ती भी तो नहीं बांकी थोड़ी सी भी हमारे दरमियाँ,
ये सोचके की कहीं वो हो न जाये बदनाम हमारे साथ खड़े होकर,
हम मुस्कराते हुए अलविदा कह गए ,
मुड़कर देखा तो उनकी आँखें नम थी,
इस डर से की कहीं लौटकर गले ना लगा ले उन्हें,
हम घर की ओर बस दौड़ते चले गए…
-N2S