Nobody told me that love is all about the wait,
endless and endless wait,
It’s about looking at your mobile for thousand times,
to see that one message,
but that message never comes,
It’s about lonely nights,
when you have so much to say,
but there is no one to listen,
It’s about getting soaked in rain,
and wishing somebody would worry,
but nobody won’t,
You look out there,
for someone to knock on your heart’s door,
and you just wait, wait and wait…
-N2S
16072016
Tag: sad poems
I Don’t Smoke
I don’t smoke coz I like it,
No, it is not for style, neither I get high on it,
I smoke coz I don’t want to outlive you,
There is no way, I will spend one more moment here without you,
I can’t imagine my life without you in it,
If that isn’t hell, then what is?
So I take a drag now and then,
To perish early and check if there is actually any heaven,
If there would be an afterlife, which I think there might be,
I would wait for you there, I have a habit of waiting,
I would be standing in front of my car wearing a black tuxedo,
A red rose and my crazy heart for the only girl I belong to…
-N2S
18052016
Suffocate Like A Fish
The day I don’t talk to you is not a good day,
It seems a waste,
The day I don’t get a message from you,
Even food doesn’t taste,
The day I don’t see your face,
My heart panics;
I feel restless,
and my mind loses its grip,
The day you sleep early without saying goodnight,
I don’t fall asleep,
I wish you wake up in the middle of the night,
And see me suffocate like a fish,
You don’t realize it now but I hope you eventually get this,
Someone really loved you and was happy because of it…
-N2S
16062015
Khudgarz (Selfish)
खुदगर्ज़ तू, पर बड़ी हसीन तेरी खुदगर्ज़ी है,
तुझे चाहना तो है मेरी मर्ज़ी,
पर ये मोहब्बत मेरी फ़र्ज़ी है,
तेरा ख़याल है, तेरी फ़िक्र है,
बातों में मेरी तेरा जिक्र भी है,
तू रहे जब तक साथ, तो तू बस खुश रहे,
तू तोड़े जब ये साथ, तब भी तू खुश रहे,
तू बुरी नहीं, शायद मेरी किस्मत ही बुरी है,
दूर तू नहीं, हमारे सपनों में ही दुरी है,
कभी जो सोचता हूँ की
तुझे अलविदा कहूँ की बिन कहे चला जाऊँ,
तुझे रोते देखने का बड़ा मन है पर
शायद तुझे रोता न देख पाऊँ,
तू खुदगर्ज़, मैं खुदगर्ज़,
और यह अपनी खुदगर्ज़ी है…
-N2S
23102010
Station ki Bench
किसी छोटे से स्टेशन पर सीमेंट की बेंच पर बैठा मैं,
अपने गंतव्य से अनिभिज्ञ, कुछ और ही उधेड़बुन में मशगूल था,
सोचा आज कोई आत्मीय नहीं साथ तो इसी बेंच से ही थोड़ी गुफ्तगू कर लूँ,
समय भी गुज़र जायेगा और तन्हाई की टीस भी जाती रहेगी,
मैंने कहा, “ऐ मुसाफिरों के हमराज़ आज कुछ अपनी भी सुनाओ,
जो कुछ देखते हो दिन भर कुछ आप बीती बताओ,”
उसने जवाब दिया, “क्या सुनाऊँ तुम्हे राही?”,
“मैंने सिर्फ चेहरे नहीं रूहों को देखा है,
सिर्फ झूठी हंसी नहीं सच्ची दुआओं को देखा है,
मैंने यहाँ नौजवानों की बेसब्री देखी है,
ज़िन्दगी को सिर्फ एक ख्वाब समझती बेफिक्री देखी है,
यहीं कहीं पुरानी दोस्ती की गरमाहट थी,
तो अनजान रास्तों पर निकलते मुसाफिरों की हड़बड़ाहट भी थी,
यहीं माँ के पैर छूते संस्कार दिखे,
तो यहीं बाप से न कह पाए जज़्बात दिखे,
जंग पर जाते सिपाही के डर को महसूस किया,
उसकी सलामती के लिए देवी से प्रार्थना करती उसकी संगिनी को सुना,
ना जाने कितने इश्क़ों को अंजाम देखा,
न जाने कितने रिश्तों पर इल्जाम देखा,
अपने सपनों के लिए घर छोड़ आए लड़के के जेब में सिक्कों को गिना,
तो अपने नए घर जाती दुल्हन की उलझन को पढ़ा,
यहीं पर तो बैठे थे वो दोनों,
जब उसकी आँखों से आँसू बहकर ज़मीन पर ना गिरे,
उसके आशिक़ ने उन्हें गालों पर ही रोक लिया,
गाडी के दरवाज़े पर खड़ी जब वो रुख्सत होने लगी,
आशिक़ तब तक दौड़ा जब तक प्लेटफार्म न ख़त्म हो गया,
ये ट्रेन के स्टेशन भी अजीब होते हैं,
लोग घर तो पहुँच जाते हैं पर मंज़िल तक नहीं पहुँचते…”
-N2S
15042014