अलफ़ाज़ मेरे बेकरार रहते हैं तुम तक पहुँचने को,
उन्हें सुनकर उनको थोड़ी एहमियत दे दो,
थोड़ा सब्र मिले मेरी बेचैन आँखों को,
तुम इन्हे अपनी फिर एक झलक दे दो,
माना की ज़िन्दगी के सफर में हँसीन बड़े मिले,
इस आवारा दिल के किरायेदार बड़े मिले,
पर किस्मत से हमेशा यही माँगा,
मुझे बस तुम्हे दे दो,
जिस मासूमियत से इसने तुम्हे चाहा,
ये दिल किसी और को यूँ कभी न चाहेगा,
मुझे किसी और को देकर उसकी किस्मत में बेवफाई न लिख दो,
माना उसकी मोहब्बत थोड़ी अबोध सी है,
उसे जताना नहीं आता, थोड़ी नासमझ सी है,
उसे है इल्म इस बात का की उसमे ही मिलेंगी मेरी सारी ख्वाहिशें,
पर ये हिसाब करने की फितरत तो मेरे मन की है,
तुम से है बस गुज़ारिश इतनी,
मेरे पास आकर मेरे दिल को उसकी मंज़िल दे दो…
-N2S
22102016