Sleepless Nights

a Sleepless girl looks at night sky

Sleepless…sleepless again,
Another long night,
It’s me back to the same old tragedy of
my bloodless fight,
Eyes wouldn’t close,
It’s late and cigarettes are being burned in rows,

Happiness is not cheap anymore,
It’s pricey and doesn’t stay for long,
The problem is, I can see my downfall from a mile
and still heading that way,
Who says I have free will?
All I do is what others say,



Love? Friendship? Work?
Seem just meaningless words,
Maybe they are just some silly reasons to pass another day,
Then this long night, I need some more words
or this restlessness won’t go away,

I can only hope that I sleep before these cigarettes perish,
Or maybe it’s just my another unfathomable wish,
Why I am like this?
Why I can’t close my eyes and see what everybody sees?
Meddled with thoughts of wrongs and rights,
It’s another of my sleepless nights…
– N2S
10092015

1 AM Friend

a woman sitting alone in the night and smoking

It’s 1 AM and my eyes are on the mobile screen,
have already read everyone’s posts, comments, and whining,
All cigarettes in the carton have perished,
and the sad playlist is almost finished,
But for me, there is still no sleep,
I wish to go out this time of the night,
lie on the road and watch the stars in the entire Galaxy,

I am in love,
but she is asleep,
the confusion, the restlessness engulfs my soul,
I wish she could see this,
With no expectations or any hope,
without any lie or pretend,
I need someone to talk,
I just need a 1 am friend,

Would talk food, would talk politics,
hours on movies, would talk anything about electronics,
Would listen to my favorite songs,
would discuss the rights and wrongs,
Then there would be stories,
ranging from horrors to comedies,



Mumbai streets would be our beds,
and the savory vada pav would fill us,
We would know there is no future for us;
We would be two lonely creatures of the night as such,
Smoke with me,
Share sleepless moments with me,
Fall on me,
and say whatever hurting,
Without any promises of togetherness,
Give my loneliness some meaning,

Like everything, these nights will also end,
But for now, my loneliness really needs a 1 am friend…
-N2S
13092015

There Is A Place

a man looking at the evening sky
“There is a place in my heart,
where love is sleeping in peace…”

There is a place on the internet,
where beautiful music plays and incorrupt souls sing,
far from the glitz, glamour, noise and fancy things,
Artful creations ripped from the heart, drenched in nostalgic emotions,
Paintings with colors of life and brushes of reflections,
It doesn’t matter if every ear gets them,
Perhaps their beauty lies in whispering the silent rhythms,



There is a place in my city,
where only wanderers and dreamers dwell,
Looking up to the sunset, every day becomes farewell,
There is no haste, there is no chase,
Nobody owns it, and it’s everybody’s place,
Beauty doesn’t have to be praised always,
Sometimes it is just about a moment of cathartic taste,

There is a place in my heart,
where love is sleeping in peace,
Far from disguises, lies, and make-believe,
It is where nobody comes, nobody interferes,
Somewhere I am true, holding something I care,
Life is not about breathing, growing and dying,
Perhaps it is just about feeling…

-N2S

मेरी आवारगी (My Vagrancy)

lonely man looking at the dark sky
“सब होंगे अपने चाहने वालों की बाहों में, और एक मैं लाखों तारों के नीचे, अकेली रात से बातें करता हूँ…”

रात के दूसरे पहर, मैं दबे पैर घर से निकलता हूँ,
दुनिया नींद की आगोश में लिपटी है,
मैं अपने आवारगी से मजबूर, रात की राजकुमारी से मिलने चल पड़ता हूँ,
मोटर साइकल को आहिस्ते से निकालता हूँ,
के कहीं शोर से किसी की नींद ना टूटे,
मेरी आवारा फ़ितरत से किसे के सपनो का सिनेमा ना टूटे,

सुनसान सड़कों पर जब मैं हवा से बातें करता हूँ,
जहन में सुलगते सारे सवालों से परे होता जाता हूँ,
बस एक अजीब सा एहसास बाहें फलाए सीने को जकड़ लेता है,
और जब ठंडी हवा के झोंके मुझे हवा में उड़ाने लगते हैं,
बस मन करता हैं आँखें बंद करके बस उड़ता रहूं,



काजल से काली रात में सड़कों पर पीले रोशनी बिखरी पड़ी है,
पर कहीं-कहीं सिहाय काली झाड़ियों में कोई आकृति हिलने लगती है,
काले जॅकेट की गर्मी मेरे शरीर को ठंड से दूर रखती है,
पर चेहरे पर ओस हल्के-हल्के जमने लगी है,

सड़क पर ऑटो रिक्शा मुसाफिरों को ले जा रही है,
कुछ लौट रहे हैं घर को और कुछ सफ़र तय करने को निकले हैं,
सब सलामत रहे, बस आसमान को देख यही एक दुआ माँग लेता हूँ,
कुत्ते भी अब भौंकते नही, शायद मुझे पहचानने लगे हैं,
और जो डर था मुझे काले चेहरों से,
अब वो भी उतरने लगा है,

कहीं किसी जगह रुककर तारों को देखने लगता हूँ,
सिगरेट के दो कशों की ताशीर से खुद को सेक लेता हूँ,
दोस्त, यार और वे हसीन जिनसे कभी दिल लगाया था,
सब होंगे अपने चाहने वालों की बाहों में,
और एक मैं लाखों तारों के नीचे, अकेली रात से बातें करता हूँ,



पूछता हूँ मैं रात से के मेरी आवारगी कब ख़त्म होगी,
कब मुझसे मेरी यह जंग, ये बेचैनी ख़त्म होगी,
रात कंधे पर सर रखकर बोली,
तुम हो साथी मेरे पर मैं थोड़ा सा डरती हूँ,
मैं तो हूँ हमेशा से अकेली पर तुम हमेशा साथ ना रहोगे,
आज जवान हो तुम, ताज़े फूल से खिले हो,
बेइन्तेहाँ खूबसूरत है ये बेसब्री तुम्हारी,
पर कल जब आएगा, तुम ऐसे ना रहोगे,

मैने हंसकर कहा, मेरी इस जवानी से शायद देवता भी जलते हैं,
वे नहीं जानते की हर काली रात के बाद सुबह कितनी खूबसूरत है,
मौत को टुकूर-टुकूर कर देखती ज़िंदगी कितनी हसीन है,
मेरे इस क्षण भर की ज़िंदगी में ही मेरी अमरता है,
इन चंद सासों के अंतराल में ही मेरी कहानी का सारांश है,
तुम भी हमेशा अकेला कहाँ रहती हो,
मिल ही जाते है तुमको मेरे जैसे दिल-फेंक आशिक़,
कल ना जाने किसका हाथ थामो तुम मगर,
आज मेरी इस आवारगी की हमसफ़र सिर्फ़ तुम हो…
-N2S
21072013

खाली पन्नो (Khaali Pannon)

empty notebook with a pen
“ज़िंदगी का सफ़र बन गया है ऐसा की, चलता हूँ रोज़ मगर पर पहुँचता कहीं नहीं”

खाली खाली पन्नो पर लिखने को कुछ नहीं,
कलम पे लगी तो है सीहाई,
पर ना शब्द है ना अल्फ़ाज़ हैं,
ज़िक्र करूँ किसका, करूँ किसकी बातें,
ना जाने बीता कितना अरसा,
पर इस रास्ते आया कोई नहीं,

रोशनी में खुद की परछाई से ही दिल बहलाता हूँ,
पर इन सर्द रातों का हमसफ़र कोई नहीं,
तारों को गिनते-गिनते सोचता हूँ,
शायद कोई हो मेरे जैसा किसी जहाँ में कहीं,
होता अगर वो साथ मेरे, करता मैं बातें हज़ार,

दिन भर सीढ़ियों में बैठे रहते की जाना ना होता कहीं,
पर हम तो खुद से बातें करते रह गये,
ना आई उसकी कोई खबर,
ना ही आई होठों पर वो हँसी,
किसी से रंजिश नही, ना किसी से शिकायत है,
क्या मांगू उस खुदा से, हसरत भी तो कोई नहीं,



ये जंग तो बन गयी है खुद की,
के हारा तो मैं पर जीता भी कोई नहीं,
बारिश भी आकर भीगा के चली गयी,
ठीक ही हुआ की आँसू और पानी में फ़र्क मिट गया,

ज़िंदगी का सफ़र बन गया है ऐसा की,
चलता हूँ रोज़ मगर पर पहुँचता कहीं नहीं,
बस एक परेशान सा दिल लिए फिरता हूँ,
के पूछ ले हाल ही अपना कोई,
ये दिन भी बीत गया, चलो शाम भी हो गयी,
पर आज भी कोई आया नहीं,

आँखे तो जम गयी थी उस मोड़ पर,
शायद दिल भी ठहर गया अब,
बस इतनी सी इंतेज़ा है दोस्तों से मेरी,
के अगर आए कभी वो भूले इस रास्ते,
तो कह देना की ले जाओ उसकी ये आँखरी निशानी,
एक कलम और कुछ खाली पन्ने है,
कहता था के अगर वो आए होते,
तो ना ये पन्ने रहते खाली ना होती ये ज़िंदगी अधूरी,
पर वो तो कभी यहाँ आया नहीं…

-N2S
31072012