कभी बड़ी हसरतों से देखा करते उन्हें,
बड़ी उम्मीदों से इंतज़ार किया करते थे उनका,
सौ बार फिर आते थे उनकी गली से,
के एक बार ही सही, उसे देखकर चेहरा खिल जाये उस दिन का,
बातें तो बहुत कही उनसे,
बस वो एक बात ना कह पाए, जो जीत पता दिल उसका,
वो ख़ुशी ख़ुशी चली गयी डोली में किसी और की,
क्या कहते? क्या कर लेते? उसी में भला लगा उसका,
उस दिन समझा प्यार तो आसान होता है भुलाना,
मुश्किल तो होता है सपनों को दफनाना,
आज वर्षों बाद राह में दिखी वो तो, बस मुस्कुराते रह गए,
उन्होंने पूछा हाल तो बस मुस्कराते रह गए,
खुद की आप बीती सुनाते-सुनाते जो आँखें गीली हुई उनकी,
हमारे बढ़ते हाथ उनके चेहरे तक आते-आते रह गए,
की किस हक़ से छुयें उन्हें?
की दोस्ती भी तो नहीं बांकी थोड़ी सी भी हमारे दरमियाँ,
ये सोचके की कहीं वो हो न जाये बदनाम हमारे साथ खड़े होकर,
हम मुस्कराते हुए अलविदा कह गए ,
मुड़कर देखा तो उनकी आँखें नम थी,
इस डर से की कहीं लौटकर गले ना लगा ले उन्हें,
हम घर की ओर बस दौड़ते चले गए…
-N2S
खुशियों के तोल-मोल से दूर कहीं भुला बिसरा पड़ा है सपनों का झोला,
बालों की सफेदी अब फर्क नहीं करती,
उम्र के पकने से पहले ही दे जाती हैं जिम्मेदारियों की रसीद,
हांसिल क्या किया है समझ नहीं आता,
और कामयाबियों की फेहरिश्त इतनी लम्बी भी नहीं,
मोबाइल की डायरेक्टरी में गिनती तो बढ़ती रहती है नामों की हर रोज़,
पर उनमें करीबी शायद अब एक-दो ही,
समय अब कभी काफी नहीं होता,
ज़रुरत पूरी हो जाती है, पर जरूरतें कम होती नहीं,
टूटे सामान अब जोड़े जाते नहीं, बदल दिए जाते हैं,
जो रिश्ते थोड़े मुश्किल होने लगे, तोड़ दिए जाते हैं,
लोग वही रहते हैं, उनके स्टेटस बदल जाते हैं,
अनजान जो दोस्त बने थे, धीरे-धीरे अनजान बन जाते हैं,
दिल में अब भी बहुत पड़े हैं आधे-अधूरे अरमान,
पर शायद अब सब धीरे-धीरे हाथ खड़े करने लगे हैं,
जीने लगे हैं किसी और के लिए,
पालने लगे हैं उसे बड़े जतन से,
आखिर कल उसपर ही तो लादना है ये सपनों का झोला,
चलो अब सो जाते हैं, रात से जो थोड़ी मोहल्लत मांगी है चंद लम्हों की,
बड़े अरसे बाद दिल की बाल्टी से कुछ बातें छलकी हैं,
रात की ख़ामोशी का शोर शायद सबसे ज्यादा होता है,
की बातें खुद तक पहुँच जाती हैं…
-N2S
10032019
रात के दूसरे पहर, मैं दबे पैर घर से निकलता हूँ,
दुनिया नींद की आगोश में लिपटी है,
मैं अपने आवारगी से मजबूर, रात की राजकुमारी से मिलने चल पड़ता हूँ,
मोटर साइकल को आहिस्ते से निकालता हूँ,
के कहीं शोर से किसी की नींद ना टूटे,
मेरी आवारा फ़ितरत से किसे के सपनो का सिनेमा ना टूटे,
सुनसान सड़कों पर जब मैं हवा से बातें करता हूँ,
जहन में सुलगते सारे सवालों से परे होता जाता हूँ,
बस एक अजीब सा एहसास बाहें फलाए सीने को जकड़ लेता है,
और जब ठंडी हवा के झोंके मुझे हवा में उड़ाने लगते हैं,
बस मन करता हैं आँखें बंद करके बस उड़ता रहूं,
काजल से काली रात में सड़कों पर पीले रोशनी बिखरी पड़ी है,
पर कहीं-कहीं सिहाय काली झाड़ियों में कोई आकृति हिलने लगती है,
काले जॅकेट की गर्मी मेरे शरीर को ठंड से दूर रखती है,
पर चेहरे पर ओस हल्के-हल्के जमने लगी है,
सड़क पर ऑटो रिक्शा मुसाफिरों को ले जा रही है,
कुछ लौट रहे हैं घर को और कुछ सफ़र तय करने को निकले हैं,
सब सलामत रहे, बस आसमान को देख यही एक दुआ माँग लेता हूँ,
कुत्ते भी अब भौंकते नही, शायद मुझे पहचानने लगे हैं,
और जो डर था मुझे काले चेहरों से,
अब वो भी उतरने लगा है,
कहीं किसी जगह रुककर तारों को देखने लगता हूँ,
सिगरेट के दो कशों की ताशीर से खुद को सेक लेता हूँ,
दोस्त, यार और वे हसीन जिनसे कभी दिल लगाया था,
सब होंगे अपने चाहने वालों की बाहों में,
और एक मैं लाखों तारों के नीचे, अकेली रात से बातें करता हूँ,
पूछता हूँ मैं रात से के मेरी आवारगी कब ख़त्म होगी,
कब मुझसे मेरी यह जंग, ये बेचैनी ख़त्म होगी,
रात कंधे पर सर रखकर बोली,
तुम हो साथी मेरे पर मैं थोड़ा सा डरती हूँ,
मैं तो हूँ हमेशा से अकेली पर तुम हमेशा साथ ना रहोगे,
आज जवान हो तुम, ताज़े फूल से खिले हो,
बेइन्तेहाँ खूबसूरत है ये बेसब्री तुम्हारी,
पर कल जब आएगा, तुम ऐसे ना रहोगे,
मैने हंसकर कहा, मेरी इस जवानी से शायद देवता भी जलते हैं,
वे नहीं जानते की हर काली रात के बाद सुबह कितनी खूबसूरत है,
मौत को टुकूर-टुकूर कर देखती ज़िंदगी कितनी हसीन है,
मेरे इस क्षण भर की ज़िंदगी में ही मेरी अमरता है,
इन चंद सासों के अंतराल में ही मेरी कहानी का सारांश है,
तुम भी हमेशा अकेला कहाँ रहती हो,
मिल ही जाते है तुमको मेरे जैसे दिल-फेंक आशिक़,
कल ना जाने किसका हाथ थामो तुम मगर,
आज मेरी इस आवारगी की हमसफ़र सिर्फ़ तुम हो…
-N2S
21072013
खाली खाली पन्नो पर लिखने को कुछ नहीं,
कलम पे लगी तो है सीहाई,
पर ना शब्द है ना अल्फ़ाज़ हैं,
ज़िक्र करूँ किसका, करूँ किसकी बातें,
ना जाने बीता कितना अरसा,
पर इस रास्ते आया कोई नहीं,
रोशनी में खुद की परछाई से ही दिल बहलाता हूँ,
पर इन सर्द रातों का हमसफ़र कोई नहीं,
तारों को गिनते-गिनते सोचता हूँ,
शायद कोई हो मेरे जैसा किसी जहाँ में कहीं,
होता अगर वो साथ मेरे, करता मैं बातें हज़ार,
दिन भर सीढ़ियों में बैठे रहते की जाना ना होता कहीं,
पर हम तो खुद से बातें करते रह गये,
ना आई उसकी कोई खबर,
ना ही आई होठों पर वो हँसी,
किसी से रंजिश नही, ना किसी से शिकायत है,
क्या मांगू उस खुदा से, हसरत भी तो कोई नहीं,
ये जंग तो बन गयी है खुद की,
के हारा तो मैं पर जीता भी कोई नहीं,
बारिश भी आकर भीगा के चली गयी,
ठीक ही हुआ की आँसू और पानी में फ़र्क मिट गया,
ज़िंदगी का सफ़र बन गया है ऐसा की,
चलता हूँ रोज़ मगर पर पहुँचता कहीं नहीं,
बस एक परेशान सा दिल लिए फिरता हूँ,
के पूछ ले हाल ही अपना कोई,
ये दिन भी बीत गया, चलो शाम भी हो गयी,
पर आज भी कोई आया नहीं,
आँखे तो जम गयी थी उस मोड़ पर,
शायद दिल भी ठहर गया अब,
बस इतनी सी इंतेज़ा है दोस्तों से मेरी,
के अगर आए कभी वो भूले इस रास्ते,
तो कह देना की ले जाओ उसकी ये आँखरी निशानी,
एक कलम और कुछ खाली पन्ने है,
कहता था के अगर वो आए होते,
तो ना ये पन्ने रहते खाली ना होती ये ज़िंदगी अधूरी,
पर वो तो कभी यहाँ आया नहीं…
यहाँ से कुछ दूर स्कूल की सीढ़ियों में,
शायद बैठे होंगे अब भी यार मेरे,
होगा कोई बीमार प्यार में तो कोई किताबों का सिरदर्द पाले होगा,
कोई होगा बेंच बजता तो कोई नोटबुक के आँखरी पाने को रंगो से भरता होगा,
यहाँ से कुछ दूर,
मस्जिद की आज़ान सुनाई देती है जहाँ,
आने वाले कल की बातें अब भी होती होंगी,
ऐसा करेंगे, वैसा करेंगे,
सपनो में करवट लेती रातें होंगी,
यहाँ से कुछ दूर,
जेब में पैसों की किल्लत जारी होगी,
दो-दो रुपए जमा करके दुकान से गेंद अभी लाई होगी,
साइकल की पंक्चर ठीक करता होगा कोई,
तो कोई लड़कियों के लिए बाज़ार के चक्कर लगाता होगा,
यहाँ से कुछ दूर,
यार अब भी जमा हो जाते हैं मेरे घर के बाहर,
कोई चिल्लाता है नाम लेकर तो कोई,
चारपाई से घसीट ले जाता है,
कोई वजह नही,
वक़्त की कोई फ़िक्र नही,
बस जाना है कहीं घूमने,
और अगर कल मैं रुक्सत हो जाऊँ इस जहाँ से
तो यारों गम ना करना,
मैं फिर आउँगा के,
यहाँ से कुछ दूर,
बैठे हैं इंतज़ार में यार मेरे…