Tum Bin

Man looking at night sky
रात है, तारे भी हैं,
बस एक तुम नहीं,
दिल में इंतज़ार है, बेचैनी भी,
बस एक तेरी खबर नहीं,
तेरी फ़िक्र भी, कर लेता वक़्त बेवक़्त तेरा जिक्र भी,
बस मेरी पूछ लेता कोई नहीं,

तुम हसीन, तुम सही भी,
मैं गलत, मुझ में कमियां बेहिसाब कई,
अब सोच लिया की नहीं दूंगा तुझे अपनी मोहब्बत के सबूत,
जाओ तुम भी जाओ,
मैं तनहा जी लूंगा यूँही,
पर जो तुम जाओ, बस एक गुज़ारिश है तुमसे करनी,
ये दिल ले जाना निकाल के मेरा,
के तुम बिन ये कम्बख्त धड़कता नहीं…
-N2S
18122015

Mere Dil Ki Manzil

man sits near ocean

अलफ़ाज़ मेरे बेकरार रहते हैं तुम तक पहुँचने को,
उन्हें सुनकर उनको थोड़ी एहमियत दे दो,
थोड़ा सब्र मिले मेरी बेचैन आँखों को,
तुम इन्हे अपनी फिर एक झलक दे दो,
माना की ज़िन्दगी के सफर में हँसीन बड़े मिले,
इस आवारा दिल के किरायेदार बड़े मिले,
पर किस्मत से हमेशा यही माँगा,
मुझे बस तुम्हे दे दो,

जिस मासूमियत से इसने तुम्हे चाहा,
ये दिल किसी और को यूँ कभी न चाहेगा,
मुझे किसी और को देकर उसकी किस्मत में बेवफाई न लिख दो,
माना उसकी मोहब्बत थोड़ी अबोध सी है,
उसे जताना नहीं आता, थोड़ी नासमझ सी है,
उसे है इल्म इस बात का की उसमे ही मिलेंगी मेरी सारी ख्वाहिशें,
पर ये हिसाब करने की फितरत तो मेरे मन की है,
तुम से है बस गुज़ारिश इतनी,
मेरे पास आकर मेरे दिल को उसकी मंज़िल दे दो…
-N2S
22102016

Ek Din Alvida

empty office space with chairs

रोज़ सज संवर के आते हैं,
आईने में दो टक और देख आते हैं,
बेकरार भले ना हों, दिल मचलने लगता है तुम्हारे आस-पास,
तुमसे बात करने के लिए हम रोज़ नई नई तरकीबें बना आते हैं,

औरों से नज़रें छुपाकर, तुम्हे छुप छुपकर तकते हैं,
तुम कभी तो जिक्र करोगी हमारा अपनी बातों में,
हम इसी इंतज़ार में कान लगाए बैठे रहते हैं,
बार-बार कुर्सी से उठते हैं,
तुम्हे खोजते हैं और फिर बैठ जाते हैं,
तुम्हारे पास से गुजरने के लिए सौ बार कैंटीन से पानी पी आते हैं,
कभी बालों को सहलाती तुम, कभी उँगलियों से उन्हें उलझाती तुम,
तुम्हारे हसने पर हम बेवजह खिल खिला पड़ते हैं,
हर रंग पे जँचती हो तुम,
सफ़ेद में तो चांदी सी चमकती हो,
हम तुम्हे और खुदको एक रंग में सोचकर ही रंगीन हो जाते हैं,

रिश्ता नहीं तुमसे कुछ, रिश्ते एहसानों को मतलबी बना देते हैं,
नहीं लेकर चलता तुम्हे जहन में हमेशा,
यह ख्याल तो स्क्रीनसेवर की तरह सिर्फ ऑफिस की चार दीवारी में ही पाले रखते हैं,
ऑफिस का साथ है, जरूरतों का मोहताज़ है,
एक न एक दिन अलविदा ही कहेंगे,
उस दिन तुमसे हाथ मिलाकर, तुम्हे आखिर छू ही लेंगे…
-N2S
24032017

Khudgarz (Selfish)

a boy thinking

खुदगर्ज़ तू, पर बड़ी हसीन तेरी खुदगर्ज़ी है,
तुझे चाहना तो है मेरी मर्ज़ी,
पर ये मोहब्बत मेरी फ़र्ज़ी है,
तेरा ख़याल है, तेरी फ़िक्र है,
बातों में मेरी तेरा जिक्र भी है,

तू रहे जब तक साथ, तो तू बस खुश रहे,
तू तोड़े जब ये साथ, तब भी तू खुश रहे,
तू बुरी नहीं, शायद मेरी किस्मत ही बुरी है,
दूर तू नहीं, हमारे सपनों में ही दुरी है,

कभी जो सोचता हूँ की
तुझे अलविदा कहूँ की बिन कहे चला जाऊँ,
तुझे रोते देखने का बड़ा मन है पर
शायद तुझे रोता न देख पाऊँ,
तू खुदगर्ज़, मैं खुदगर्ज़,
और यह अपनी खुदगर्ज़ी है…
-N2S
23102010

मुस्कराते हुए अलविदा कह गए

lonely girl

कभी बड़ी हसरतों से देखा करते उन्हें,
बड़ी उम्मीदों से इंतज़ार किया करते थे उनका,
सौ बार फिर आते थे उनकी गली से,
के एक बार ही सही, उसे देखकर चेहरा खिल जाये उस दिन का,

बातें तो बहुत कही उनसे,
बस वो एक बात ना कह पाए, जो जीत पता दिल उसका,
वो ख़ुशी ख़ुशी चली गयी डोली में किसी और की,
क्या कहते? क्या कर लेते? उसी में भला लगा उसका,
उस दिन समझा प्यार तो आसान होता है भुलाना,
मुश्किल तो होता है सपनों को दफनाना,

आज वर्षों बाद राह में दिखी वो तो, बस मुस्कुराते रह गए,
उन्होंने पूछा हाल तो बस मुस्कराते रह गए,
खुद की आप बीती सुनाते-सुनाते जो आँखें गीली हुई उनकी,
हमारे बढ़ते हाथ उनके चेहरे तक आते-आते रह गए,

की किस हक़ से छुयें उन्हें?
की दोस्ती भी तो नहीं बांकी थोड़ी सी भी हमारे दरमियाँ,
ये सोचके की कहीं वो हो न जाये बदनाम हमारे साथ खड़े होकर,
हम मुस्कराते हुए अलविदा कह गए ,
मुड़कर देखा तो उनकी आँखें नम थी,
इस डर से की कहीं लौटकर गले ना लगा ले उन्हें,
हम घर की ओर बस दौड़ते चले गए…
-N2S