खुदगर्ज़ तू, पर बड़ी हसीन तेरी खुदगर्ज़ी है,
तुझे चाहना तो है मेरी मर्ज़ी,
पर ये मोहब्बत मेरी फ़र्ज़ी है,
तेरा ख़याल है, तेरी फ़िक्र है,
बातों में मेरी तेरा जिक्र भी है,
तू रहे जब तक साथ, तो तू बस खुश रहे,
तू तोड़े जब ये साथ, तब भी तू खुश रहे,
तू बुरी नहीं, शायद मेरी किस्मत ही बुरी है,
दूर तू नहीं, हमारे सपनों में ही दुरी है,
कभी जो सोचता हूँ की
तुझे अलविदा कहूँ की बिन कहे चला जाऊँ,
तुझे रोते देखने का बड़ा मन है पर
शायद तुझे रोता न देख पाऊँ,
तू खुदगर्ज़, मैं खुदगर्ज़,
और यह अपनी खुदगर्ज़ी है…
-N2S
23102010