रात है, तारे भी हैं,
बस एक तुम नहीं,
दिल में इंतज़ार है, बेचैनी भी,
बस एक तेरी खबर नहीं,
तेरी फ़िक्र भी, कर लेता वक़्त बेवक़्त तेरा जिक्र भी,
बस मेरी पूछ लेता कोई नहीं,
तुम हसीन, तुम सही भी,
मैं गलत, मुझ में कमियां बेहिसाब कई,
अब सोच लिया की नहीं दूंगा तुझे अपनी मोहब्बत के सबूत,
जाओ तुम भी जाओ,
मैं तनहा जी लूंगा यूँही,
पर जो तुम जाओ, बस एक गुज़ारिश है तुमसे करनी,
ये दिल ले जाना निकाल के मेरा,
के तुम बिन ये कम्बख्त धड़कता नहीं…
-N2S
18122015